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________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates २३४] [अष्टपाहुड क्रोधादिक कषाय और असंयम परिणाम से परद्रव्य संबंधी विभाव परिणाम होते हैं उनके अभावरूप दसलक्षण धर्म है, उनसे गुणा करने से अठारह हजार होते हैं। ऐसे परद्रव्य के संसर्गरूप कुशील के अभावरूप शीलके अठारह हजार भेद हैं। इनके पालने से परम ब्रह्मचर्य होता है, ब्रह्म (आत्मा) में प्रर्वतने और रमने को 'ब्रह्मचर्य' कहते हैं। स्त्रीके संसर्ग की अपेक्षा इसप्रकार है-- स्त्री दो प्रकार की है, अचेतन स्त्री काष्ठ पाषाण लेप (चित्राम) ये तीन, इनका मन और काय दो से संसर्ग होता है, यहाँ वचन नहीं है इसलिये दो से गुणा करने पर छह होते हैं। कृत, कारित, अनुमोदना से गुणा करने पर अठारह होते हैं। पाँच इन्द्रियोंसे गुणा करने पर नब्बे होते हैं। द्रव्य-भावसे गुणा करने पर एकसौ अस्सी होते हैं। क्रोध, मान, माया, लोभ इन चार कषायों से गुणा करने पर सातसो बीस होते हैं। चेतन स्त्री देवी, मनुष्यिणी, तिर्यंचणी ऐसे तीन, इन तीनों को मन, वचन, कायसे गुणा करने पर नौ होते हैं। इनको कृत, कारित, अनुमोदना से गुणा करने पर सत्ताईस होते हैं। इनको पाँच इन्द्रियों से गुणा करने पर एकसौ पैंतीस होते हैं। इनको द्रव्य और भाव इन दो से गुणा करने पर दो सौ सत्तर होते हैं। इनको चार संज्ञासे गुणा करने पर एक हजार अस्सी होते हैं। इनको अनन्तानुबन्धी, अप्रत्याख्यानावरण, प्रत्याख्यानावरण, संज्वलन, क्रोध, मान, माया, लोभ इन सोलह कषायोंसे गुणा करने पर सत्रह हजार दो सौ अस्सी होते हैं। ऐसे अचेतन स्त्रीके सातसौ बीस मिलाने पर अठारह हजार होते हैं। ऐसे स्त्रीके संसर्ग से विकार परिणाम होते हैं सो कुशील है, इनके अभाव परिणाम शील है इसकी भी ‘ब्रह्मचर्य' संज्ञा है। ---------- "अचेतन : काष्ठ, पाषाण मन कृतकारित इन्दिया द्रव्य क्रोध, मान, स्त्री चित्राम काय अनुमोदना ५ भाव मान, लोभ ४ ७२० चेतन देवी मन कृत स्त्री मनुष्यिणी वचन कारित तिर्यचिणी काय अनुमोदना आहार अनंतानुबन्धी क्रोध परिग्रह अप्रत्याख्यानावरण मान इन्द्रियाँ द्रव्य भय प्रत्याख्यानावरण माया ५ भाव मैथुन संज्वलन लोभ ४ ३ १७२८० १८००० Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com
SR No.008211
Book TitleAshtapahuda
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorMahendramuni
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, Religion, & Sermon
File Size5 MB
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