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उनकी ऐसे महावीर चरित्र की माँग थी, जिसमें भगवान् श्रीवर्धमान स्वामी के तीस वर्ष जितने तीर्थंकर जीवन का कालक्रम से निरूपण मिल सकता हो । बात अवश्य ध्यान देने योग्य थी और इसी कारण मेरा ध्यान इस तरफ स्थिर हुआ । इसकी सिद्धि के लिये जैन सिद्धान्तों का अध्ययन कर भगवान् के जीवनप्रसंगों को चुन कर एकत्र किया और उनको यथास्थान रखकर भगवान के केवलिजीवन को व्यवस्थित करने का यथाशक्ति परिश्रम किया है । इसमें अपूर्णता है, यह तो मैं पहले ही स्वीकार कर लेता हूँ, परन्तु इसके अतिरिक्त कुछ असंगति अथवा स्खलना दृष्टिगोचर हो तो पाठकगण उसकी लेखक को सूचना करने की उदारता करें, ऐसी प्रार्थना है ।
हरजी-मारवाड़ ता० २१-१०-४१
कल्याण विजय
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