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________________ ३८६ श्रमण भगवान् महावीर भद्दिलनगरी-यह मलयदेश की तत्कालीन राजधानी थी । जैन सूत्रों में इसके उल्लेख अधिक मिलते हैं । आवश्यकसूत्र के लेखानुसार भगवान महावीर ने छद्मस्थावस्था में एक वर्षाचातुर्मास्य यहाँ किया था । पटना से दक्षिण में लगभग एक सौ मील और गया से नैर्ऋतदक्षिण में अट्ठाइस मील की दूरी पर गया जिला में अवस्थित हटवरिया और दन्तारा गाँवों के पास प्राचीन भद्दिलनगरी थी, जो पिछले समय में भद्दिलपुर नाम से जैनों का एक पवित्र तीर्थ रहा है । अब भी प्राचीन जैनमंदिरों के अवशेष और पुराने किले के चिह्न वहाँ विद्यमान हैं । भोगपुर—यहाँ पर माहेन्द्र क्षत्रिय ने भगवान् महावीर पर आक्रमण किया था । भोगपुर का नाम सूसमार और नन्दीगाम के बीच में आता है । संभवत: यह स्थान कोशल भूमि में था । मगध—यह देश महावीर के समय का एक प्रसिद्ध देश था । मगध की राजधानी राजगृह महावीर के प्रचार-क्षेत्रों में प्रथम और वर्षावास का मुख्य केन्द्र था । पटना और गया जिले पूरे और हजारीबाग का कुछ भाग प्राचीन मगध के अन्तर्गत थे । इस प्रदेश को आज कल दक्षिण-पश्चिमी बिहार कह सकते हैं । इस देश के लाखों मनुष्य महावीर के उपदेश को शिरोधार्य करते थे । मागधी भाषा की उत्पत्ति इसी मगध से समझनी चाहिये ।। मण्डिककुक्षि चैत्य-राजगृह के निकटस्थ एक उद्यान का नाम । मत्स्यदेश-यह देश जैनसूत्रोक्त साढ़े पच्चीस आर्य्य देशों में परिगणित था । इसकी राजधानी विराट नगरी थी, जो वर्तमान जयपुर से उत्तरपूर्व में बयालीस मील पर थी । मत्स्य-जनपद कुरूराज्य के दक्षिण में और यमुना के पश्चिम में था । इसमें अलवर राज्य और जयपुर तथा भरतपुर राज्य के कुछ भाग शामिल थे । मथुरा--सूरसेन देश की राजधानी मथुरा महावीर के समय और उसके पहले भी जैन-धर्म का केन्द्र रहा है । महावीर-निर्वाण के बाद तो यह स्थान जैन-धर्म का एक अड्डा ही बन गया था । जैन सूत्रों के प्राचीन भाष्यों और टीकाओं में लिखा है कि मथुरा और इसके आसपास के छ्यानबे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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