________________
३५६
श्रमण भगवान् महावीर
समझ लेते कि उनकी परम्परा के पूर्वकालीन मुनि भी नग्नता और अर्धनग्नता का आदर करते थे और अमुक देशकाल में वे स्वयं नग्न और अर्धनग्न रहते थे तो हम समझते हैं कि नग्नता के नाते दिगम्बर जैनों को कोसने का समय नहीं आता ।
हमें आशा है कि दोनों सम्प्रदायों के विवेचक विद्वान् और सत्यान्वेषी पाठक इस लेख को जिज्ञासाबुद्धि से पढ़ेंगे और वस्तु-स्थिति को समझने का यत्न करेंगे ।
Jain Education International
For Private Personal Use Only
www.jainelibrary.org