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तीर्थंकर-जीवन
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समय के पूर्णरूप से लग जाने पर जम्बूद्वीप के भारतवर्ष की क्या अवस्था होगी ?
महावीर-गौतम ! उस समय का भारत हाहाकार, आर्तनाद और कोलाहलमय होगा । विषमकाल के प्रभाव से कठोर, भयंकर और असह्य हवा के बवण्डर उठेंगे और आँधियाँ चलेंगी जिनसे सब दिशायें धूमिल, रजस्वला और अन्धकारमय हो जायेंगी । समय की रुक्षता के वश ऋतुएँ विकृत हो जायेंगी, चन्द्र अधिक शीत फेकेंगे और सूर्य अत्यधिक गर्मी करेंगे ।
उस समय जोरदार बिजलियाँ चमकेंगी और प्रचण्ड पवन के साथ मूसलधार पानी बरसेगा जिसका जल अरस, विरस, खारा, खट्टा, विषैला और तेजाब सा तेज होगा । उससे निर्वाह न होकर विविध व्याधिवेदनाओं की उत्पत्ति होगी ।
उन मेघों के जल से भारत के ग्रामों और नगरों के मनुष्यों और जानवरों का, आकाश में उड़नेवाले पक्षियों का, ग्राम्य तथा आरण्यक त्रसस्थावर प्राणियों का और सब प्रकार की वनस्पतियों का विनाश हो जायगा । एक वैताढ्य पर्वत को छोड़ कर सभी पहाड़-पहाड़ियाँ वज्रपातों से खण्डविखण्ड हो जायेंगी । गंगा और सिन्धु को छोड़ कर शेष नदी, नाले, सरोवर आदि ऊँचे-नीचे स्थल समतल हो जायँगे ।
गौतम-भगवन् ! तब भारतभूमि की क्या दशा होगी ?
महावीर-गौतम ! उस समय भारतवर्ष की भूमि अंगार-स्वरूप, मुर्मुर-स्वरूप, भस्म-स्वरूप, तपे हुए तवे और जलती हुई आगसी गर्म, मरुस्थलीसी वालुकामयी और छिछली झीलसी काई (शैवाल), कीचड़ से दुर्गम होगी ।
गौतम-भगवन् । तत्कालीन भारतवर्ष का मनुष्य समाज कैसा होगा ?
महावीर-गौतम ! तत्कालीन भारतवर्ष के मनुष्यों की दशा बड़ी दयनीय होगी । विरूप, विवर्ण, दुर्गन्ध, दुःस्पर्श और विरस शरीरोंवाले होने
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