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मध्यम त्याग- वृत विरक्त जा रहा है, रास्ते में उस जवान की दुकान मिलती थी। वह दुकान पर बैठा हुआ था, खुली दुकान चल रही थी। दुकान में जब वह वृद्व पहुँचा तो बोला कि हम तो विरक्त हो गए है इसलिए अब नगर छोड़कर जा रहे है। तो वह युवक बोला कि हम भी साथ चलतें है। सो दुकान छोड़कर साथ चलने लगा तो वह वृद्ध कहता है कि अरे लड़को को बला तो, इस दुकान का हिसाब किताब समझा दो, क्या लेना है, क्या देना है तब चलो,। तो युवक बोला कि जिस चीज को छोडना ही है तो उसे फिर क्या संभलवाये? वह वृद्ध बोला कि हम सब संभलवाकर आये है। जवान बिना संभलवाए दुकान से उठकर चल दिया।
उत्कृष्ट त्याग - वृद्व और युवक दोनेा विरक्त होकर जा रहे है। वह 20 वर्ष का बालक कही बड़े खेल में शामिल हो रहा था। उस खेलते हुए बालक से ये दोनो कहते है कि अब तो हम विरक्त हो गए है, जा रहे है। तो वह हाकी डंडा जो कुछ था वही फेककर बोला कि हम भी चलते है। दोनो बोले कि अभी तुम्हारी कल परसों सगाई हुई है और 10-15 दिन तुम्हारी शादी के रह गए है, तुम अभी रहो, फिर सोच समझकर आना। तो लड़का बोलता है कि जो चीज छोड़ने लायक है उस चीज में पहिले हम फँसे और फिर छोड़े तो इससे क्या लाभ है? वह वही से चल दिया। तो ये तीन प्रकार के लोग है। सबसे बढिया कौन रहा? उसके बाद जवान और तीसरा विरक्त तो हआ मगर उन दोनो में सबसे हल्का कौन रहा? बुड्ढा।
उत्तरोत्तर त्याग की महत्ता - जो भी त्यागी जन हुए है उनमें से किसी ने तो इन विषयभोगो की तृण के समान तजकर अपनी लक्ष्मी अर्थीजनो को दे दी, जो चाहने वाले थे या जहाँ लगाना चाहिए वहाँ लगाकर, देकर चल दिया। और कुछ पुरूष ऐसे हए कि इस धन सम्पदा को पापरूप तथा दूसरो को भी न देने के योग्य समझकर किसी को न दिया, यो ही छोड़ छोड़कर चल दिया, अब जिसके बंटवारे में जो होता है हौ जायगा। कोई पुरूष घर में रहता हुआ अचानक ही मर जाय, कुछ समझा भी न पाये तो उसकी गृहस्थी का क्या होता है? जो होना है वह हो जाता है। कोई पुरूष ऐसे होते है कि उस वैभव को दुःखदायी जानकर पहिले से ही ग्रहण नही करते है। इन तीनो प्रकार के त्यागी पुरूषो में उत्तरोत्तर के त्यागी श्रेष्ठ है।
वज्रदन्त चक्री के वैराग्य का निमित्त – एक कथानक प्रसिद्ध है - एक बार बज्रदन्त चक्रवर्ती सभा में बैठे हुए थे, एक माली एक कमल का फूल लाया। उस फूल के अन्दर मरा हुआ भंवरा पड़ा हुआ था। ये कमल के फूल दिन में तो फूले रहा करते है और फूले हुए वे कमल रात्रि को बंद हो जाते है, फिर जब दिन होता है तो फिर वे फूल जाते है। कोई कमल बहुत दिनो का फूला हुआ हो, बूढा हो गया हो वह तो फिर बंद नही होता, मगर जो दो एक दिन के ही फुले कमल हो वे रात्रि के समय बंद हो जाते है कोई भंवरा
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