________________
आचार्यो कुशळ माटे निरंतर प्रयास करे छे.
संसारमां पापनो भार वधे छे. जेम जेम वासना वधे छे
तेम तेभ लोभ वधे छे. युद्धने वखते धैर्य दुर्लभ होय छे.
अमे निरर्थक बोलता नथी. भमराओ फुलोमां दोडे छे. झाडो पाणी पीए छे अने
ताप सहे छे.
नमिराज युद्धने तजे छे. क्षत्रियो शस्त्रो अने अस्त्रो वडे निर्दोष मनुष्यनां माथां कापे छे. छात्रो हमेशां गुरुकुळमां रहे छे.
तेना आंगणामां सूरजनुं तेज दीपे छे.
तेओ तमने वारंवार याद करे छे.
६३
अमे महेलनी ऊपर छीए. अमारामां ते एक जितेंद्रिय पंडित छे.
तमे ने वारंवार वांदो छो. पओ, तमे अने अमे दूध पीप छीए.
पापी ब्राह्मण सर्वमां हलको छे. संसारमा कोई, कोईनुं शरण नथी.
तमे अंदरनु जाणो छो तेथी प्रमाद करता नथी. अमे, तमे अने तेओ बधा, संसारना पाशने कापीए छीप.
श्रमणो पाणी वडे वस्त्रोने शुद्ध करे छे.
कुशळ पुरुषो निर्दोष वचनने उत्तम कहे छे. तपोमां ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ छे. क्षत्रियोनुं लक्षण धैर्य अने वीर्य छे. जितेंद्रिय पुरुषो बुद्धनी अने महावीरनी सेवा करे छे. बधा जीवो लोभथी पापने मार्गे चाले छे. धीर क्षत्रियो मनुष्योनुं कुशळ इच्छे छे. तमे धैर्य वडे लोभने जितो छो.
झाडो वधे छे अने करमाय छे तेथी तेमां जीव छे. आचार्यो जागे छे अने
ध्याय छे.