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बाल (बाल) बाळ-बालक । इंद (इन्द्र) इन्द्र उवज्झाय (उपाध्याय) उपाध्याय चंद (चन्द्र) चंद्र
-अध्यापक-गुरु-ओझा । मेह (मेघ) मे-मेघ-वरसाद आयरिय (आचार्य)सदाचारवंत गुरु. । भारवह (भारवह) भार वहनार-मजूर सिद्ध (सिद्ध) अदेही वीतराग समुह (समुद्र) समुद्र-समुदर निव (नृप) नृप-राजा
नयण३८ (नयन) नेण-आंख बुह (बुध) बुद्धिमान-डाह्यो पुरुष कण्ण (कर्ण) कान पुरिस (पुरुष) पुरुष.
महावीर (महावीर) महावीर देव आइञ्च (आदित्य) आदित्य-सूर्य जिण (जिन) जय पामनार-वीतराग
मेघ मार्गने सिंचे छ । सिद्धोने नमो इन्द्र बुद्धदेवने ममे छे मजूरो मार्गमा दोडे छे डाहो पुरुष बाळकने पूछे छे समुद्रमां चंद्रोने देखीए छीए आंखवडे चन्द्रने जोउं छु । बाळको उपाध्यायने पूछे छ समुद्रने कानवडे सांभळु छु । राजाना पगोमां पईं छु बालकना हाथमां चंद्र छे
वीतराग देव ! नमुं छु कलहने छेदो छो
बे बालक बोले छे सूर्य तपे के
समुद्रो गाजे छे. राजा मार्गने जाणे छे राजा शोभे छे.
नमो अरिहंताणं
नयणेहिं देक्खामु भारवहो हरं वंदह
भारवहा भारं चिणिज महावीरो जिणो झाअइ नमो उवज्झायाणं कण्णेहिं सुमि
। समुद्दो खुब्भह ३८ 'आंख' अर्थने सूचषनारा शब्दो नरजातिमां पण वपराय छः नयणो, नयणं. (नयनम् ) लोअणो, लोअणं ( लोचनम् )