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पुरा (पुर) पुरी - नगर -नगरी
संपया
संप
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( संपदा ) संपदा - संपत्ति
दिआ ( (चन्द्रिका १५) चांदनी, चंद्रिआ ।
चांदी-रूपुं
दिमा (चन्द्रिका) चन्द्रमानी
चांदनी
रच्छा (रथ्या ९६) रथ चाले तेवी
पहोळी शेरी-शेरी
जुक्ति (युक्ति) जुक्ति - योजना
रति (रात्रि) रात
भाइ (मातृ ) मा - माइ भूमि (भूमि) भूमि - भों
जुवइ (युवति) युवति धूलि (धूलि ) धूळ रइ (रति) प्रेम - राग मह (मति ) मति
द्विह्नि } (धृति) धैर्य
सिप्पि (शुक्ति) छीप सन्ति (शक्ति) शक्ति सति (स्मृति) स्मृति - सरत
१३३.
दित्ति (दीप्ति) दीप्ति- तेज़ पंति (पङ्क्ति) पंक्ति-पंगत-पांत थुइ (स्तुति) स्तुति - थोय कित्ति (कीर्ति) कीर्ति - कीरत सिद्धि (सिद्धि) सिद्धि,
रिद्धि (ऋद्धि) रध - ऋद्धि संति (शान्ति) शांति कंति (कान्ति) कांति
खंति ( क्षान्ति) क्षमा कंति (कान्ति) खांत - इच्छा-होश.
गउ (गो) गाय - गउ
कच्छु (कच्छु ) खाज-खरज विज्जु (विद्युत् ) वीजळी
उज्जु (ऋजु) सरळ
मा (मातृ) माता
दद्दु (द) धाधर - दादर चं (च) चां
गाई (गो) गाय
वावी (बावी) वाव
कयली (कदली) केळ नारी (नारी) नारी - नार
९५ 'द्र' मां रहेला 'र' कारनो लोप विकल्पे थाय छेः चन्द्रिकाचंदिआ, चंद्रिआ. चन्द्रः - चंदो, चंद्रो द्वहः - दहो. द्रहो समुद्रः - समुद्दो, समुद्रो. द्रुमः- दुमो, मो. ९६ जुओ टिप्पण ७५.
[ यादी: 'अच्छरसा' थी मांडीने 'संपआ' सुधीनां नामो मूळ अकारांत नथी, ए ध्यानमा राखवानुं छे. ]