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कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचंद्राचार्य
कलिकाल सर्वज्ञ श्री
हेमचंद्राचार्य
(शासनप्रभावना) (१) जन्म वि. सं.११४५, नाम चांगदेव। दीक्षा ११५४, नाम सोमदेव रखा। वि.सं. ११६६ में आचार्य श्री हेमचंद्र सूरि बने।। (२) पंडितों की सभा में भूल से अमावस के बदले “आज पूनम है" कहा। ख्याल आते ही उपाश्रय में ध्यानस्थ हुये, शाम को शासन देवीनें आकाश में चाँद बताया। (३) देवबोधीनें कुमारपाल को शैव बनाने उसकी सात पीढी बताई, तब हेम. ने सात पाटपर बैठ १-१ निकलवाया, बेसहारा बैठ व्याख्यान दिया। (४) चौमासे में पाटण के बाहर न जाने की प्रतिज्ञावाले राजा कुमारपाल पर तुर्की बादशाह का हमला, हेम. का बाद को मंत्रबल से पलंग सहित उपाश्रय में लाना, कुमा. बाद की मित्रता। (५) हेम. ताडपत्रों पर सिद्ध हेम व्याकरण
आदि कई ग्रंथ लिखवाते है। (६) वि.सं. १२२९ हेम. का स्वर्गवास। (७) पट्टधर बनने के लोभी गुरुद्वेषी मुनि बालचंद्र की अजयपाल को "कुमा. प्रतापमल को राज देगा" ऐसा बहकाकर कुमा. को जहर देने की सलाह (८) बाल. को पट्टधर बनाने या लोहे की गरम शिला पर सो जाने का अजय, का मुनि रामचंद्र को आदेश और राम का गुरू आज्ञानुसार बाल. को पट्टधर न बनाते मृत्यु का स्वीकार, स्वर्गगमन।
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४बीर सं.२४१३
आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी महाराज