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________________ श्रेणिकपुत्र नंदिषेण श्रेणिकपुत्र नंदिषेण (संयमरूचि) (१) ब्राह्मण भोजन के काम में मजदूरी कर बचा हुआ सब आहार लेनेवाला नंदिषेण का जीव। (२) वह आहार साधुसाध्वियों को बेहराना (३) दीक्षा लेकर विषयविकार वशात् भी व्रतभंग न करते आत्महत्या करना, तब शासन देवी का नंदि० को बचाना (४) वेश्या के घर गोचरी, वहाँ तिनका तोड सुवर्णवृष्टि करना, वेश्या के पकड रखने से १२ साल वेश्या के घर रहे। (५) हर रोज उपदेश देकर १० जनों को दीक्षा दिलवाने की प्रतिज्ञा की। (६) एक दिन नौ में ली, दसवां न लेने तक उपदेश देते ही रहे। भोजन के लिये बुलानेवाली वेश्या को "दसवां नही लेता है" कहने पर "आज दसवें तुम" यह वेश्या के कहने से नंदि में भग. के पास फिर से दीक्षा ली, स्वर्ग गये। आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी महाराज
SR No.007794
Book TitleJin Shasanna Mahapurushona Jivan Prasango
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherBhuvanbhanusuri
Publication Year
Total Pages31
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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