SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२० नयामतम-२ (३.६) अज्ञातकर्तृक ॥सप्तनयविचार॥ नैगम(१) संग्रह(२) व्यवहार(३) ऋजुसूत्र(४) शब्द(५) समभिरूढ(६) एवंभूत(७) ए सात नय जाणवानां भेद कहि छइ। नैगमनय सामान्यविशेषात्मक वस्तु मानइ। यथा घटोऽस्ति सामान्यधर्मवचनं अथ एह जि घटनइ विषइ विशेषधर्म बोलइ। यथा गोरोऽयं घटः पृथुबुध्नाद्याकारवान् इति विशेषधर्मवचनम् इति नैगमः।१ संग्रहनय एक सत्ता सामान्य मानइ। छती वस्तु मानइ। यथा घटो रक्तादि वर्ण करी सहित छइ। रक्तादिक विशेष छइ तउ संतपणइ करी सामान्यपणुं जाणिवु। तेह भणी सामान्य थकी विशेष जूउ नही इति संग्रहनयः।२ व्यवहारनय विशेषइं ज मानइं सामान्यपणुं नचुं(?) तेह भणी सामान्य थकी विशेष जूउ मानइ। यथा पाणी आणिवा भणी घटपदार्थ विशेषधर्म प्रचुंजिउ जोइइ। सामान्यवचनि कार्यसिद्धि न थाइ। घटविशेष वचनव्यवहार कार्यसिद्धि थाइ। इति व्यवहारनयः।३ ऋजुसूत्र वर्तमानपदार्थ मानइ। यथा घट छइ ए वर्तमानकाल बलवंत, अतीतकाल गयओ, अनागत आवस्यइ। अतीत अनइ अनागत एव ऋजुपणइ करी रहीत। सरल वर्तमानकालि वर्ततउ पदार्थ मानइ इति ऋजुसूत्रनयः।४ शब्दनय वर्तमानकालि वर्तता पदार्थ समान लिंगपर्याय करी वस्तुविशेष मानइं शब्दिं करी। यथा घटः कुंभः कुट इति घटशब्दपर्याय कहइ। इति शब्दनयः।५ समभिरूढ इसिउं मानइ। घटादिकपदार्थ थकी कुंभादिक पदार्थ जूजूआ मानइ। यथा घट थकउ पट जूठ। इति समभिरूढनयः।६ एवंभूतनय इसिउं मानइ। पदार्थ क्रिया करतउ पदार्थपणउ मानइ, अन्यथा न मानइं। यथा घट इति पदार्थ घटचेष्टा करतउ स्त्रीमस्तकी आरूढ थकउ पाणी आणतउ घट कहीइ। कुंभ इति कौ पृथिव्यां भातीति कुंभः। पृथिवीनइ विषइ शोभइ ते कुंभ कहीइ। इति एवंभूतनयः।७ ॥इति सप्तनयविचारः संपूर्णः॥
SR No.007790
Book TitleNayamrutam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages202
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy