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________________ ४७९ भासगाहा-३५८७-३५९८] बीओ उद्देसो इदाणिं संसट्ठमेलियमित्यर्थः । संसट्ठस्स उ गहणे, तहियं दोसा इमे पसज्जंति । तण्णीसाएँ अभिक्खं, संखडिकारावणं होज्जा ॥३५९३॥ "संसट्ठस्स उ गहणे०" गाहा । कण्ठ्या । अलऽम्ह पिंडेण इमेण अज्जो !, भुज्जो ण आणेति जहेस इत्थं । साहू ण इच्छंति इमस्स दोसा, अम्हे वि वज्जेमु ण कोवि एस ॥३५९४॥ "अलऽम्ह पिंडेण" वृत्तं कण्ठ्यम् ।। अगम्मगामी किलिबोऽहवाऽयं, बोट्टी व हुज्जा से सुणादिणा वा । दोसा बहू तेण जहिं सगारो, पिंडं णए तत्थ उ णाभिगच्छे ॥३५९५॥ "अगम्मगामी०" वृत्तं । कण्ठ्यम् । नवरं 'बोट्टी व'त्ति विट्टला भज्जा से सुणादिणा वा एयं विज्जलियं । [सुत्तं]-नो कप्पति निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सागारियपिंडं बहिया नीहडं असंसटुं पडिग्गाहित्तए । कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सागारियपिंडं बहिया नीहडं संसटुं पडिग्गाहित्तए ॥२-१५॥ बहिया उ असंसढे, दोसा ते चेव मोत्तु संसटुं । संसट्ठमणुण्णायं, पेच्छउ सागारितो मा वा ॥३५९६॥ [नि०] "बहिया उ०" गाहा । एईए गाहाए इमाओ वक्खाणगाहाओनीस?मसंसट्ठो, वि अपिंडो किमु परेहि संसट्ठो । अप्पत्तियपरिहारी, सगारदिटुं परिहरंति ॥३५९७॥ [नि०] "नीसट्टमसंसट्ठो वि०" गाहा । बहिया णीणेत्ता-जहा निवेइओ वाणमंतरस्स, जस्स वा अट्ठाए णीणिते तस्स दिण्णो जया भवइ सो णिसट्ठो भण्णइ । सो णिसट्ठो जइ वि असंसट्ठो अन्नेहिं चोल्लएहिं समं अमेलिओ वि । अपिंडो णाम ण सो सागारियपिंडो । जइ ताव एस सागारियपिंडो न भवइ, किमंगं पुण जो अन्नेहिं चोल्लएहिं समं मेलिओ संतो प्रागेव सो सागारियपिंडो ण भवइ ? सो पुण कप्पइ जइ सागारिओ ण पासइ दिज्जंतं । अह पासइ सागारिओ तो ण घेप्पइ – मा से अपत्तियं होहिति । अद्दिट्ठस्स उ गहणं, असती तव्वज्जितेण दिट्ठस्स । दिढे व पत्थियाणं, गहणं अंतो व बाहिं वा ॥३५९८॥ [नि०]
SR No.007787
Book TitleKappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages423
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size4 MB
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