________________ [उवस्सयविहिपगयं] [सुत्तं] से तणेसु वा तणपुंजेसु वा पलालेसु वा पलालपुंजेसु वा अप्पंडेसु अप्पपाणेसु अप्पबीएसु अप्पहरिएसु अप्पुस्सेसु अप्पुत्तिंगपणग दगमट्टियमक्कडगसंताणएसु अहेसवणमायाए नो कप्पति निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तहप्पगारे उवस्सए हेमंतगिम्हासु वत्थए // 4-34 // "से तणेसु वा तणपुंजेसु वा०" सुत्तं उच्चारेयव्वं / संबन्धोअद्धाणातो निलयं, उविंति तहियं तु दो इमे सुत्ता। तत्थ वि उडुम्मि पढम, उडुम्मि दूइज्जणा जेणं // 5665 // अहवा अद्धाणविही, वुत्तो वसहीविहिं इमं भणई। सा वी पुव्वं वुत्ता, इह उ पमाणं दुविह काले // 5666 // "अद्धाणातो०" ["अहवा अद्धाणविही०"] गाहाद्वयम् / उडुबद्धे पूर्वं सूत्रमुच्यतेपश्चाद्वासावासे कस्मात् कारणात् ? यस्माद् उडुबद्ध रीयिज्जति, तेणं कारणेणं उडुबद्धे सुत्तं / पुव्वं वासावाससुत्तं, पच्छा दुविध काले त्ति उडुबद्धे वासावासे य / तणगहणाऽऽरणतणा, सामगमादी उसूइया सव्वे / सालीमाति पलाला, पुंजा पुण मंडवेसु कता // 5667 // पुंजा उ जहिं देसे, अप्पप्पाणा य होंति एमादी / अप्प तिग पंच सत्त य, एतेण ण वच्चती सुत्तं // 5668 // वत्तव्वा उ अपाणा, बंधणुलोमेणिमं कयं सुत्तं / पाणादिमादिएसुं, ठंते सट्टाणपच्छित्तं // 5669 // थोवम्मि अभावम्मि य, विणिओगो होति अप्पसहस्स। थोवे उ अप्पमाणो, अप्पासी अप्पनिद्दो य // 5670 // निस्सत्तस्स उ लोए, अभिहाणं होइ अप्पसत्तो त्ति / लोउत्तरे विसेसो, अप्पाहारो तुअट्टिज्जा // 5671 // बिय मट्टियासु लहुगा, हरिए लहुगा व होंति गुरुगा वा / पाणुत्तिंगदएसुं, लहूगा पणए गुरू चउरो // 5672 //