________________ 847 भासगाहा-५६३३-५६४२] चउत्थो उद्देसो "संघट्टणा०" गाहा / कण्ठ्या / [सुत्तं] अह पुण एवं जाणिज्जा-एरवइ कुणालाए जत्त चक्किया एगं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा एवण्हं कप्पति अंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा; एवं नो चक्किया एवण्हं नो कप्पति अंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा // 4-33 // “एरवति कुणालाए जत्थ चक्किया एगं पायं" सुत्तं उच्चारतव्वं / एरवति जम्हि चक्किय, जलथलकरणे इमं तु णाणत्तं / एगो जलम्मि एगो, थलम्मि इहई थलाऽऽगासं // 5638 // एरवति कुणालाए, वित्थिण्णा अद्धजोअणं वहति / कप्पति तत्थ अपुण्णे, गंतुं जा वेरिसी अण्णा // 5639 // "एरवति०" ["एरवति०"] गाहाद्वयम् / सूत्रार्थः गाथाद्वयम् / 'मेत्थ य नाणत्तं' नाम जं कप्पति अंतोमासस्स उयरंतो पढमं जले, ततो बितियपायं आगासेणं थले विभासा / एयाए जयणाए कप्पइ अंतोमासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरित्तए संतरित्तए वि पडिआगमित्तएणं / एस सुत्तत्थो / इदानीं निज्जुत्तीए उत्तरणपंथप्रकारा भण्णंति / तेसु जयणाए संकम थले य णोथल, पासाणजले य वालुगजले य / सुद्धदग पंकमीसे, परित्तऽणंते तसा चेव // 5640 // [नि०] उदए चिक्खल्ल परित्तऽणंतकाइग तसे त मीसे त / अक्कंतमणक्कंते, संजोए होति अप्पबहुं // 5641 // [नि०] "संकम थले य०" ["उदए चिक्खल्ल०"] गाहा / पुरातनं गाथाद्वयम् अस्य व्याख्या तिविहो पंथो / थलेणं संकमेणं णो थलेणं ति / तत्थ थलेणं जो णदीखोप्परेण परिहरित्ता गम्मइ / संकमे इमा गाहा एगंगिय चल थिर पारिसाडि सालंबवज्जिए सभए। पडिपक्खेसु त गमणं, तज्जातियरे व संडेवा // 5642 // 1. इमं तु नाणत्तं मुच /