________________ 839 भासगाहा-५५९४-५६०३] चउत्थो उद्देसो अणुपेहेत्ता चउवीसत्थयं चेव उच्चारेत्ता इमं सव्वं भणंति एस तवं पडिवज्जति, ण किंचि आलवति मा ण आलवहा / अत्तचिंतगस्सा, वाघातो भे ण कातव्वो // 5597 // "एस तवं०" गाहा / एएणऽम्हे णालवियव्वा / अम्हेहिं वि एसो णालवियव्वो / आलावण पडिपुच्छण, परियट्टट्ठाण वंदणग मत्ते / पडिलेहण संघाडग, भत्तदाण संभुंजणा चेव // 5598 // "आलावण०" गाहा / न एएण अम्हं आलावओ दायव्वो / अम्हेहिं वि एयस्स आलावओ न दातव्यो / एवं पाडिपुच्छणं परियट्टणं उट्ठवणं वंदणगं उच्चारमत्तयं-पासवण-खेलमत्तयं / तिन्नि वि एक्कं चेव पडिलेहणियं / संघाडगं भत्त-पाणं संभुंजणं / एएसु वितहाचरणे इमं पच्छित्तं संघाडगोउ जाव उ, लहुओ मासो दसण्ह उ पयाणं / लहुगा य भत्तदाणे, संभुजण होतऽणुग्घाता // 5599 // "संघाडगोउ०" गाहा / आलावगातो आढवेउं जाव संघाडगो ताव जइ गच्छिल्लगा परिहरियस्स करेंति तो गच्छिल्लियाणं मासलहुं सव्वत्थ, अह भत्तपाणं देइ :: (चतुर्लघु) / अह संभुंजंति :: / (चतुर्गुरु) / इदाणिं पारिहारियस्स / अट्टण्हं तु पदाणं, गुरुओ परिहारियस्स मासो उ। भत्तपदाणे संभुंजणे य चउरो अणुग्घाया // 5600 // "अट्टण्हं तु०" गाहा / उच्चारादी तिन्नि वि मत्तगा एक्कं चेव तेण तिण्णि जाव संघाडगो ताव पारिहारियस्स मासगुरुं, भत्तदाणे संभुंजणे य दोसु वि :: / (चतुर्गुरु) / कुव्वंताणेताणि उ, आणादि विराहणा दुवेण्हं पि / देवय पमत्त छलणा, अधिगरणादी य उदितम्मि // 5601 // "कुव्वंताणेताणि उ०" गाहा / कण्ठ्या / कप्पइ एगगिहंसि पिंडवायं दवावेत्तए अस्य व्याख्या सूत्रार्थे उक्ता तथाप्यशून्यार्थं पुनरप्युच्यते / संखडीए विउलं व भत्तपाणं, दट्टणं साहवज्जणं चेव / नाऊण तस्स भावं, संघाडं देंति आयरिया // 5602 // भावो देहावस्था, तप्पडिबद्धो व ईसि भावो से। अप्पातित हयतण्हो, वहति सुहं सेस पच्छित्तं // 5603 //