SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 423
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 832 विसेसचुण्णि [अहिगरणपगयं [अहिगरणपगयं] [सुत्तं] भिक्खू य अहिकरणं कट्ट तं अहिगरणं अविओसवित्ता नो से कप्पति गाहावतिकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा णिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, गामाणुगामं वा दूइज्जित्तए, गणातो वा गणं संकमित्तए, वासावासं वा वत्थए / जत्थेव अप्पणो आयरियउवज्झायं पासेज्जा बहुस्सुयं बब्भागमं तस्संतिए आलोइज्जा पडिक्कमिज्जा निदिज्जा गरहिज्जा विउट्टेज्जा विसोहेज्जा अकरणयाए अब्भुट्ठिज्जा आहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवज्जेज्जा / से य सुएण पट्टविए आईयव्वे सिया, से य सुएण नो पट्टविए नो आदिइतव्वे सिया।से य सुएणं पट्टवेज्जमाणे नो आदियति से निज्जूहियव्वे सिया // 4-30 // ___ "भिक्खू अधिकरणं कट्ट तं अधिकरणं अविओसवित्ता नो से कप्पति०' सुत्तं उच्चारेयव्वं / सूत्रसम्बन्धःकेण कयं कीस कयं, णिच्छुब्भऊ एस किं इहाणेती। एमादि गिहीतुदितो, करेज्ज कलहं असहमाणो // 5566 // "केण कयं०" गाहा / तस्स पुण अहिकरणस्स कहं उप्पत्ती ? अचियत्तकुलपवेसे, अतिभूमि अणेसणिज्जपडिसेहे / अवहारऽमंगलुत्तर, सभावअचियत्त मिच्छत्ते // 5567 // "अचियत्त०" गाहा / अवहारो सेहस्स आसियावणाए यात्राभिप्रस्थितो अमंगलं मण्णमाणो / सेसं कठ्यम् / पडिसेहे पडिसेधो, भिक्ख वियारे विहार गामे वा / दोसा मा होज्ज बहू, तम्हा आलोयणा सोधी // 5568 // "पडिसेहे०" गाहा। 'पडिसेहे' त्ति तित्थगरेहिं पडिसिद्धं न वट्टइ अहिकरणं काउं तस्मिन् प्रतिषेधे व्युत्क्रान्ते पुनः प्रतिषेधः क्रियते / अविओसविते न वट्टइ भिक्खं हिंडिउं संघाडइल्लेणं /
SR No.007787
Book TitleKappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages423
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy