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________________ विसेसचुण्णि [मासकप्पपगयं दाणे अभिगम सड़े, सम्मत्ते खलु तहेव मिच्छत्ते । मामाए अचियत्ते, कुलाइँ जाणंति गीयत्था ॥१४८९॥ "दाणे अभिगम सड्डे०" गाहा । कण्ठ्या । जेहिँ कया उ उवस्सय, समणाणं कारणा वसहिहेउं च । परिपुच्छिया सदोसा, परिहरियव्वा पयत्तेणं ॥१४९०॥ जेहिँ कया उ उवस्सय, समणाणं कारणा वसहिहेउं । परिपुच्छिय निदोसा, परिभोत्तुं जे सुहं होंति ॥१४९१॥ "जेहिं कया उवस्सय०" ["जेहिं कया पाहुडिया०"] गाहाओ दो । समणा पंच। तं जहा-तावसा परिव्वायगा आजीविया भिक्खू य निग्गंथा य। एएसिं पंचण्ह वि अट्ठाए कया। अहवा समणाणं ति संजयाण चेव अट्ठाए कया । तं परियच्छिउं जे सदोसा तेसु न ठायति । जे अन्नेसिं चउण्हं समणाणं साहुवज्जाणं कया, ते निद्दोस त्ति काउं सुहं परिभोत्तुं होंति । जेहिं कया पाहुडिया, समणाणं कारणा वसहिहेउं । परिपुच्छिया सदोसा, परिहरियव्वा पयत्तेणं ॥१४९२॥ जेहिँ कया पाहुडिया, समणाणं कारणा वसहिहेडं। परिपुच्छिय निहोसा, परिभोत्तुं जे सुहं होंति ॥१४९३॥ "जेहिं कया उवस्सय०" ["जेहिं कया पाहुडिया०"] गाहाओ दो कण्ठाओ। नवरं पाहुडिया नाम उवलेवणाई कुलाणि । तहुवस्सगं चेव त्ति गयं । इदाणिं खेत्ते परिसुद्धे वसही पडिलेहियव्वा । सा वसहि कत्थ गेण्हेयव्वा ? तं च वसभखेत्तं तत्थ वसभो गामदारे पुव्वा[भि]मुहो पुट्ठीए' वामपासेण निवेसिज्जइ । तत्थ सिंगक्खोडे कलहो, ठाणं पुण नत्थि होइ चलणेसु। अहिठाणे पुट्टरोगो, पुच्छम्मि य फेडणं जाणे ॥१४९४॥ मुहमूलम्मि उ चारी, सिरे अ कउहे अ पूअसक्कारो । खंधे पट्टीइ भरो, पुट्टम्मि उधायओ वसहो ॥१४९५॥ "सिंगक्खोडे कलहो०" ["मुहमूलम्मि य चारी०"] दो गाहाओ । वसभस्स एयं १. पुव्वामहो बुद्धीए अ ब ड । २. सिंगक्खेडे अ ब ड ।
SR No.007786
Book TitleKappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages504
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size3 MB
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