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________________ विसेसचुण्णि [मासकप्पपगयं वीयार भिक्खचरिया, वुच्छाणऽचिरुग्गयम्मि पडिलेहा । चोयग भिक्खायरिया, कुलाइँ तहुवस्सयं चेव ॥१४८०॥ "वीयार भिक्खचरिया०" गाहा । वीयारभूमी अवरण्हे चेव पडिलेहित्ता तओ रति परिवुत्थाण अचिरुग्गए सूरे अद्धपोरुसीए वा भिक्खायरियापडिलेहणनिमित्तं संघाडओ उग्गाहेइ । एगो अच्छइ संदिसावेत्ता नेत्ति । बाले वुड्ढे सेहे, आयरिय गिलाण खमग पाहुणए। तिन्नि य काले जहियं, भिक्खायरिया उ पाउग्गा ॥१४८१॥ "बाले वुड्डे सेहे०" गाहा । कण्ठ्या । खेत्तं तिहा करेंता', दोसीणे नीणितम्मि उ वयंति । अन्नोन्ने बहुलद्धे, थोवं दल मा य रूसिज्जा ॥१४८२॥ "खेत्तं तिहा करेंता०" गाहा । खेत्तं तिन्नि भाए काऊण जत्थ पए देसकालो तत्थ हिंडंति । अह नत्थि ताहे दोसीणो जइ पउरो लब्भति ताहे जयणाए पडिसेहेंति, जहा - इमं भरियं भायणं, मा तुमं रुसिहिसि तेण थोवं गिण्हामो । अहव न दोसीणं चिय, जायामो देहि णे दहिं खीरं। खीरे घय गुल गोरस, थोवं थोवं च सव्वत्थ ॥१४८३॥ __ "अहव न दोसीणं चिय०" गाहा । कण्ठ्या । एवं जेसु पए देसकालो जाणिय अहाभद्दयाई कुलाइं ताइं जाणंति । सुहं तेसु पए चेव गिलाण-पाहुणग-खमग-बाल-वुड्डाणं पज्जाईणि जाइज्जति । जाणिय मामाग-दुगुंछियाईणि कुलाइं जाणंति । एवं जायंता एगस्स पज्जत्तं गिण्हित्ता नियत्तंति । अह अइरेगं गिण्हंति तो तिन्निवारे समुद्दिसंताणरे गेलण्णं । अह परिठवेंति तो अजयणा । तम्हा एगस्स घेत्तव्वं पज्जत्तं । आलोइऊण समुद्दिट्टा सन्नाभूमीउ आगया। तओ मज्झण्हे जो पए न हिंडिओ तेण समं एगो हिंडइ । मज्झण्हें पउरभिक्खं, परिताविय पेज्ज जूस पय कढियं । ओभट्ठमणोभटुं, लब्भइ जं जत्थ पाउग्गं ॥१४८४॥ "मज्झण्हे पउरभिक्खं०" गाहा । मज्झण्हे जाणि पउरभिक्खाणि कुलाणि । जत्थ वा दीहोदणो कूरो । परितावितयं नाम कुसणं उल्लणाइ, पिज्जा वा जत्थ लब्भइ । जूसो आमलगसारिगाइ । एयं आयरियाइपाउग्गं । जत्थ ओभटुं अणोभटुं वा लब्भइ ताणि उवधारेंति । १. करित्ता मुच । २. समुद्दिसंता अ ।
SR No.007786
Book TitleKappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages504
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size3 MB
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