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________________ प्रकरण ६ : संयुक्तव्यंजन-विकार (८) र्झ =ज्झ : निर्झर = निज्झर (९) र्त=त्त : मुहूर्त = मुहुत्त, कीर्ति = कित्ति, धूर्त = धुत्त, कर्तरी = कत्तरी ( कातरी), मूर्त = मुत्त. (१०)र्थ=त्थ : अर्थ=अत्थ, तीर्थ = तित्थ, सार्थ=सत्थ, समर्थ=समत्थ, पार्थिव=पत्थिव (११) ६ = ६ (१२) र्ध=द्ध (१३) र्प=प्प (१४)र्ब=ब्ब : (१) र्त=ट्ट (२) र्थ=ट्ठ (३) र्द=ड्ड : दर्दुर= ददुर (बेडूक), मार्दव = मद्दव : मूर्धन् =मुद्ध (डोके), निर्धन = निद्धण, दुर्धर = दुद्धर : सर्प = सप्प, कूर्पर = कोप्पर (कोपर) कर्पूर = कप्पूर (कापूर), कार्पटिक=कप्पडिय (म: कापडी ) (१५) र्भ=ब्भ : गर्भ= गब्भ (म: गाभ, गाभा), निर्भर = निब्भर, निर्भय = निब्भय, दुर्भिक्ष = दुब्भिक्ख (दुष्काळ) (क) र् पुढे न् खेरीज तवर्गीय व्यंजन अवयव असता कधी कधी तवर्गीय व्यंजनाबद्दल टवर्गीय व्यंजने येऊन या नवीन आलेल्या व्यंजनांचे द्वित्व झालेले आढळते. ९५ कर्बट = [ = कब्बड (लहान गांव), निर्बन्ध = निब्बंध, कर्बुरित = कब्बुर ( विविधरंगी) १ २ : चक्रवर्तिन्=चक्कवट्टि, वर्तते = वट्टइ, नर्तिका = नट्टिया. : अर्थ=अट्ठ, अनर्थ=अणट्ठ, चतुर्थ=चउट्ठ : विच्छर्द=विच्छड्डु (वैभव ), कपर्द = कवड्ड (कवडी) (४) र्ध=ड्ढ : अर्ध=अड्ड, वर्धते=वड्ढइ, अर्धमास=अड्ढमास (आ) ल्+स्पर्श : (१) ल्क=क्क : वल्कल=वक्कल (म.: वाकळ ), कल्क=कक्क (पाप, मळ), उल्का=उक्का. (२) लग=ग्ग : वल्गति=वग्गइ, फाल्गुन = फग्गुण, वल्गन = वग्गण. (३) ल्प े=प्प : विकल्प = वियप्प, शिल्प = सिप्प, अल्प=अप्प. म. : कर्त् - काटणे, उद्वर्तन = उटणे; वर्ध-वाढणे, सार्ध-साडे. अनुस्वारागम झाल्यास : जल्पति=जंपइ.
SR No.007784
Book TitleArdhamagdhi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK V Apte
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages513
LanguageMarathi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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