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प्रकरण १५ : साधित शब्द : साधित धातू
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(आ) आरब्भ (आरम्भ) डज्झ (दह, डह) मुच्च (मुय, मुञ्च) आहिज्ज (आहा+आधा) तीर (तर-तृ) मुज्झ (मुह, मुज्झ) उवरूज्झ (उवरुन्ध)
रुब्भ (रुम्भ, रुन्ध) उद्धुव्व (उद्धुण) थुव्व' (थुण-स्तु) रुव्व' (रोय-रुद्) उवगिज्ज (उवगा) दुज्झ', दुब्भ (दुह-दुह्) लब्भ (लह्) कज, किज्ज, कीर (कर) दिज (दे-दा) लिप्प (लिम्प्) किच्च (किंत-कृत्) धुव्व' (धुण-धू) लिब्भ' (लिह) खम्म, खन्न (खण) निज्ज (ने) लुव्व' (लुण-लू) खज्ज (खा, खाय) पहुप्प (पभव, पहव-प्र+भु) लुप्प (लुम्प्) खिप्प (खिव) दीस (पास-दृश्) वुच्च' (वय-वच्) गम्म (गम, गच्छ) पिज्ज (पिव-पा-पिणे) वुब्भ (वह-वह्) गिज्ज (गा)
पिड्ड (पीड) वाहप्प' (वाहर-वि+आ+ह) गेज्झ, घेप्प' (गिण्ह, गेण्ह) पुव्व (पुण-पू) सिच्च, सिप्प (सिंच) चिम्म, चिव्व' (चिण-चि) बज्झ (बन्ध) सुम्म,' सुव्व (सुण-श्रु) छिज्ज (छिन्द)
भण्ण (भण) सुप्प (सुव-स्वप्) जीर (जर-जू) भिज्ज (भिन्द) हरि (हर-हृ) भज्ज (भंज)
हम्म (हण) नज (जाण) जिप्प, जिव्व (जिण-जि) भुज (भुञ्ज)
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यातील काही रूपे 'थोड्याफार प्रमाणात संस्कृतवरून वर्णान्तराने' असे म्हणावयास
हवे.