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________________ प्रकरण ९ : संधिविचार १६७ हिट्ठा, ज्येष्ठ = जिट्ठ, ग्राह्य = (गेज्झ) - गिज्झ, वैद्य = विज्ज, श्रेष्ठिन् = सिट्ठि, चेष्टा = चिट्ठा, अत्र = (एत्थ) इत्थ, म्लेच्छ = मिच्छ ५) ओ = ओ : मोक्ष = मोक्ख, ओष्ठ = ओट्ट, यौवन = जोव्वण, सौख्य = सोक्ख टीप : कधी कधी ह्रस्व ओ बद्दल उ लिहिला जातो. नीलोत्पल = नीलुप्पल, होज्ज = हुज्ज, ज्योत्स्ना = जुण्हा, मनोज्ञ = मणुन्न, नमस्कार = (नमोक्कार) - नमुक्कार १४६ दीर्घ स्वरावर अनुस्वार आल्यास (वा असल्यास) तो दीर्घ स्वर ह्रस्व होतो. १) आ - अ : (क) पराङ्मुख =परंमुह, वीसा = वीसं, तीसा = तीसं, तिरिया = तिरियं, सम्मा = सम्मं, अट्ठा = अटुं, मुसा = मुसं, हेट्ठा = हेटुं, आम्र = अंब, ताम्र = तंब (का) पांशु = पंसु, मांस = मंस, कृतान्त = कयंत, मृगाङ्क = मयंक, भाण्ड = भंड, भाण्डार = भंडार, कान्त = कंत, कान्ता = कंता २) ई - इ : इदानीम् = इयाणिं, नदीम् = नई ३) ऊ - उ : वधूम् = वहुं ४) ए' - एँ : नेति, बेंति, देति, करेंति ५) ओ’ - ओ : होति १४७ ह्रस्व स्वरावर असलेल्या (वा आलेल्या) अनुस्वाराचा लोप झाल्यास तो ह्रस्व स्वर दीर्घ होतो. १) दंष्ट्रा =दाढा, संरक्षण = सारक्खण, सन्दंश = संडास (सांडशी), संहृत्य = साहटु, संहरति = साहरइ. १) ह्रस्व ए, ओ बद्दल कधी कधी अनुक्रमे इ, उ लिहिले जातात : निति, बिंति, नरिंद, हुति २) दीर्घ स्वरावरील अनुस्वार लुप्त झाल्यास दीर्घ स्वर तसाच रहातो : मांस = मास, मांसल = मासल, कांस्य = कास
SR No.007784
Book TitleArdhamagdhi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK V Apte
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages513
LanguageMarathi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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