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प्रकरण ७ : भाषाशास्त्रीय वर्णादेश
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५८) सर- सृ, स्मृ, शर, स्मर, स्वर, सरस् ५९) सिय - सित, श्रित, शित (तीक्ष्ण धारेचा) ६०) सुइ - श्रुति, शुचि, स्मृति, सृति ६१) सुक्क - शुष्क, शुल्क, शुक्र, शुक्ल ६२) सुत्त - सूत्र, सूक्त, सुप्त, स्रोतस् ६३) सेय - स्वेद, सेक, श्रेयस्, श्वेत ६४) सोय - स्वप्, शुच्, शौच, शोक, स्रोतस्, श्रोत्र ६५) हय - हत, हृत, हय (घोडा) ६६) हिय - हित, हृत, हृदय
१३० शब्दादेश
प्राकृत व्याकरण संस्कृतशब्दांचे प्राकृतमधील काही आदेश देतात. नेहमी वापरात आढळणारे असे काही शब्दादेश पुढे दिले आहेत.
क्षिप्त = छूढ, वनिता = विलया, ईषत् = कूर, इदानीम् = एण्हिं, एत्ताहे, मलिन = मइल, शुक्ति = सिप्पि, छुप्त = छिक्क, आरब्ध = आढत्त, बहिः = बाहिरं, अधस् = हे??, भ्रू = भुमआ, गोदावरी = गोला, यावत् = जेत्तिअ, जेद्दट, एतावत् = एत्तिअ, एद्दह, कियत् = केत्तिअ, केद्दह, प्रावरण = पंगुरण, छेक = छइल्ल, श्वश्रू = अत्ता, विदर्भ = विच्छोम, भ्रमर = भसल, प्रगल्भ = तरट्ट, उत्पल = कंदोट्ट२.
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हेम. २.१२५-१४४ पहा मार्कं ४. ६४ पहा.