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________________ www.vitragvani.com सम्यग्दर्शन : भाग-6] [47 तत्त्वचर्चा १. प्र. - आत्मा को जानने का तत्काल फल क्या? उ- आत्मा के अतीन्द्रिय आनन्द का वेदन हो वह। २. प्र- सच्चा ज्ञान किसे कहते हैं ? उ - ज्ञानस्वरूप आत्मा को ज्ञेय बनावे, वही सच्चा ज्ञान है। ३. प्र-एक जीव की साधक पर्यायें कितनी? और सिद्धपर्यायें कितनी? उ-एक जीव की साधक पर्यायें सब होकर असंख्य होती हैं और सिद्धपर्यायें अनन्त होती हैं । (साधकपर्यायें सादि-सान्त हैं, सिद्धपर्यायें सादि अनन्त हैं)। ४. प्र - साधक जीव कितने ? सिद्ध जीव कितने? उ - साधक जीव जगत में एक साथ असंख्यात होते हैं; सिद्ध जीव अनन्त हैं। ५. प्र- मोक्ष को साधने के लिये उल्लसित वीर्य कब होता है? उ- स्वतत्त्व की परम अगाध गम्भीर महिमा जाने, तब उस ओर वीर्य उल्लसित होता है; स्वभाव की महिमा पहिचानने पर उपयोग उस स्वभावसन्मुख झुके तो वीरता प्रगट हो और मोक्ष को साधने के लिये वीर्य उल्लसित हो। ६. प्र- आत्मा का अनुभव करनेवाला क्या ग्रहण करता है? क्या छोड़ता है ? Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007773
Book TitleSamyag Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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