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सम्यग्दर्शन : भाग-6]
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तत्त्वचर्चा १. प्र. - आत्मा को जानने का तत्काल फल क्या? उ- आत्मा के अतीन्द्रिय आनन्द का वेदन हो वह। २. प्र- सच्चा ज्ञान किसे कहते हैं ? उ - ज्ञानस्वरूप आत्मा को ज्ञेय बनावे, वही सच्चा ज्ञान है।
३. प्र-एक जीव की साधक पर्यायें कितनी? और सिद्धपर्यायें कितनी?
उ-एक जीव की साधक पर्यायें सब होकर असंख्य होती हैं और सिद्धपर्यायें अनन्त होती हैं । (साधकपर्यायें सादि-सान्त हैं, सिद्धपर्यायें सादि अनन्त हैं)।
४. प्र - साधक जीव कितने ? सिद्ध जीव कितने?
उ - साधक जीव जगत में एक साथ असंख्यात होते हैं; सिद्ध जीव अनन्त हैं।
५. प्र- मोक्ष को साधने के लिये उल्लसित वीर्य कब होता है?
उ- स्वतत्त्व की परम अगाध गम्भीर महिमा जाने, तब उस ओर वीर्य उल्लसित होता है; स्वभाव की महिमा पहिचानने पर उपयोग उस स्वभावसन्मुख झुके तो वीरता प्रगट हो और मोक्ष को साधने के लिये वीर्य उल्लसित हो।
६. प्र- आत्मा का अनुभव करनेवाला क्या ग्रहण करता है? क्या छोड़ता है ?
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