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सम्यग्दर्शन : भाग-5]
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- अहा ! सम्यग्दर्शन होने पर आत्मा में मोक्ष का सिक्का लग
-
गया। आनन्दरस की अपूर्व धारा उल्लसित हुई ।
१०८- इस काल में सम्यग्दर्शन पाया जा सकता है ?
- हाँ; अनेक जीव पाये हैं और पा सकते हैं। - इसलिए हे जीव !
तू आज ही सम्यक्त्व को धारण कर !
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अब आप पढ़ोगे सम्यग्दर्शन सम्बन्धी लेखमाला
सम्यग्दर्शन प्राप्त करने से पहले मुमुक्षु का जीवन कैसी पात्रतावाला होता है ! और सम्यग्दर्शन प्राप्त करने के बाद का जीवन कैसा अद्भुत होता है ! इस सम्बन्धी निबन्ध योजना में सौ लेख आये थे। उसमें से आठ लेख पसन्द करके सम्पादनसहित यहाँ दिये गये हैं। वे सम्यक्त्व के लिए अभ्यास में जिज्ञासुओं को अत्यन्त उपयोगी होंगे।
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