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________________ www.vitragvani.com 98] [सम्यग्दर्शन : भाग-5 १००- अनन्त जीव, मोक्ष को प्राप्त हुए-वे सब क्या करके मोक्ष को प्राप्त हुए हैं? - सम्यग्दर्शन से ही अनन्त जीव, मोक्ष को प्राप्त हुए हैं। १०१- सम्यग्दर्शन के बिना कोई मोक्ष को प्राप्त हुआ है ? - नहीं। १०२- सम्यक्त्व की सरस महिमा सुनकर क्या करना? - हे जीवों! तुम जागो... सावधान होओ... और स्वानुभव करो। (सम्यक्त्व प्राप्ति का यथार्थ उपाय करना)। १०३- ऋषभदेव के जीव को सम्यक्त्व प्राप्त कराने के लिये मुनियों ने क्या कहा? - हे आर्य! यह सम्यक्त्व की प्राप्ति का अवसर है; इसलिए तू आज ही सम्यक्त्व को ग्रहण कर। १०४- यह सुनकर ऋषभदेव के जीव ने क्या निर्णय किया? - मुनियों की उपस्थिति में उसी समय सम्यग्दर्शन प्रगट किया। १०५- इस उदाहरण से क्या निर्णय करना? - सम्यक्त्व ग्रहण करो... 'काल वृथा मत खोओ'। (जो सम्यक्त्व का सच्चा पुरुषार्थ करे, उसे अवश्य उसकी प्राप्ति होती ही है)। १०६- देवों के अमृत से भी उत्कृष्ट रस कौन-सा है? - सम्यक्त्व का अतीन्द्रिय आत्मरस, अमृत से भी उत्कृष्ट है। १०७- सम्यग्दर्शन होने पर क्या हुआ? Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007772
Book TitleSamyag Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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