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[सम्यग्दर्शन : भाग-5
८०- मनुष्य का उत्तम अवतार पाकर क्या करना? - चैतन्य की आराधना द्वारा भव के अन्त का उपाय करना। ८१- शरीर के सुन्दर रूप का मद धर्मी को क्यों नहीं है? - क्योंकि सबसे सुन्दर ऐसा चैतन्यरूप उसने देखा है। ८२- आत्मा किससे शोभित होता है ? - सम्यग्दर्शनरूप आभूषण से। ८३- सर्वाधिक उत्कृष्ट पढ़ाई क्या? - जिस ज्ञान द्वारा आत्मा की अनुभूति हो वह। ८४- सच्चे श्रुतज्ञान का फल क्या? - आनन्द और वीतरागता। ८५- भरत और बाहुबली लड़े, तब क्या हुआ? - उस समय भी दोनों की ज्ञानचेतना भिन्न ही थी। ८६- सम्यग्दर्शन तो किसी भी धर्म में होता है न? - नहीं; जैनमार्ग के अतिरिक्त अन्यत्र सम्यग्दर्शन नहीं होता। ८७- सम्यग्दर्शन होने पर जीव को क्या हुआ? - वह पंच परमेष्ठी की जाति में मिला। ८८- सम्यग्दर्शन के बिना शुभकरणी भी कैसी है? - वह भी जीव को दुःखकारी है। ८९- जैनमार्ग कैसा है? - वह भगवान होने का मार्ग है।
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