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सम्यग्दर्शन : भाग-5]
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५२ - कर्म और शरीर कैसे हैं ?
वे
आत्मा से भिन्न जाति के हैं, वे आत्मा का स्वरूप नहीं; पुद्गल के परिणाम हैं ।
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५३ - पुण्य-पापवाला आत्मा, वह वास्तविक आत्मा है ? नहीं; वास्तविक आत्मा, चेतनारूप और आनन्दरूप है। ५४ - मुमुक्षु जीव को क्या साध्य है ?
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• मुमुक्षु जीव को मोक्षसुख के अतिरिक्त दूसरा कोई साध्य नहीं है ।
५५- सच्चा आनन्द (मोक्ष का आनन्द) कैसा है ?
- स्वयंभू है, आत्मा ही उसरूप होता है ।
५६ - साधकदशा का समय कितना ?
असंख्य समय।
५७- साध्यरूप मोक्षसुख का काल कितना ?
अनन्त।
५८- सिद्धदशा-मोक्षदशा कैसी है ?
महा आनन्दरूप, सम्यक्त्वादि सर्व गुणसहित और द्रव्यकर्म-भावकर्म तथा नोकर्म रहित ।
५९ - चौथे
गुणस्थान में सम्यग्दर्शन है, वह रागवाला है ?
- नहीं; वहाँ राग होने पर भी सम्यग्दर्शन तो रागरहित ही है ६०- सम्यक्त्व के साथ का राग कैसा है ?
• वह बन्ध का ही कारण है; सम्यक्त्व, वह मोक्ष का कारण है।
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