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[सम्यग्दर्शन : भाग-5
४२- सम्यग्दर्शन के निमित्त कौन है ? - सच्चे देव-गुरु-धर्म ही सम्यग्दर्शन के निमित्त हैं। ४३- वीतरागी देव कौन हैं ? - अरिहन्त और सिद्ध। ४४- निर्ग्रन्थ गुरु कौन? - आचार्य, उपाध्याय, साधु। ४५- सच्चा धर्म कौन सा? - सम्यक्त्वादि वीतरागभाव (सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र)। ४६- वीतरागमार्ग में अहिंसा किसे कहते हैं ? - रागादिभावों रहित शुद्धभाव, वह अहिंसा है। ४७- हिंसा किसे कहते हैं?
- जितने रागादिभाव हैं, उतनी चैतन्य की हिंसा है, क्योंकि रागादिभावों से जीव की शान्ति-सुख का घात होता है।
४८- हिंसा-अहिंसा का ऐसा स्वरूप कहाँ है ? - सर्वज्ञदेव के मत में ही है; अन्यत्र कहीं नहीं। ४९- ऐसे अहिंसाधर्म को कौन पहिचानता है ? - सम्यग्दृष्टि ही पहिचानता है। ५०- जीव किस विद्या को पूर्व में कभी नहीं पढ़ा? - वीतराग-विज्ञानरूप सच्ची चैतन्य-विद्या नहीं पढ़ा। ५१- ज्ञान, आत्मा से कभी भिन्न क्यों नहीं पड़ता? - क्योंकि ज्ञान, आत्मा का स्वरूप ही है।
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