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________________ www.vitragvani.com सम्यग्दर्शन : भाग-5] [87 सम्यक्त्व-प्रेरक १०८ सुगम प्रश्नोत्तर १. प्रश्न : मोक्षशास्त्र का पहला ही सूत्र क्या है ? उत्तर : सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्राणि मोक्षमार्गः । २. प्रश्न : समयसार में सम्यग्दर्शन किसे कहा है ? उत्तर : भूतार्थस्वभाव के आश्रय से ही सम्यग्दर्शन कहा है। (जीवादि नव तत्त्वों को भूतार्थनय से जानना, वह सम्यग्दर्शन है।) ३- नव तत्त्व को जाने परन्तु शुद्धात्मा को न पहचाने तो? - तो उसे सम्यग्दर्शन नहीं होता; उसका नव तत्त्व का ज्ञान भी सच्चा नहीं होता, नव तत्त्वों को भूतार्थनय से जाने तो अवश्य सम्यग्दर्शन होता है। ४- वीतराग भगवन्त किस मार्ग से मोक्ष में चले? - अन्तर्मुखी शुद्धरत्नत्रय के मार्ग से वे मोक्ष में गये। ५- जीव को बहिरात्मदशा में क्या था? - बहिरात्मदशा में वह एकान्त दु:खी था, क्योंकि उसे देह से भिन्न आत्मा का ज्ञान नहीं था। ६- अब अन्तरात्मा होने पर क्या हुआ? - उसे देहादि से भिन्न आत्मस्वभाव का ज्ञान होने से आत्मा का सच्चा सुख अनुभव में आया। ७- हम परमात्मा को पहिचान सकते हैं ? Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007772
Book TitleSamyag Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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