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________________ www.vitragvani.com 481 [सम्यग्दर्शन : भाग-4 अरिहन्त भगवान को पहचानो (2) जी णमो अरिहंताणं। णमो सिद्धाणं। णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं। णमो लोए सव्वसाहूणं। अरिहन्तदेव के सच्चे अनुयायी बनने के लिये, अर्थात् सम्यग्दर्शन प्रगट करके सच्चा जैन बनने के लिये, अरिहन्त भगवान का सच्चा स्वरूप पहचानना चाहिए। अरिहन्त भगवान के स्वरूप की सच्ची पहचान में कितनी अधिक गम्भीरता है, और उसका फल कितना महान है, यह अपने को इस लेख में दिखायी देगा। अरिहन्तदेव की पहचान का पहला लेख हमने पृष्ठ 25 पर पढ़ा है, यह दूसरा लेख है। 6 श्री अरिहन्त भगवान को नमस्कार हो। IT जिसे अपने आत्मा का अपूर्व हित करना हो, उसे अपने आत्मा का वास्तविकस्वरूप क्या है ?-यह पहचानना चाहिए; और वह पहचानने के लिये अरिहन्त भगवान का स्वरूप पहचानना चाहिए। अरिहन्त भगवान को पहचानने से आत्मा का वास्तविक स्वरूप पहचाना जाता है। Is अरिहन्त भगवान के आत्मा को जानने पर अनुमानप्रमाण से अपने शुद्धस्वरूप का ज्ञान होता है कि अहो! मेरे आत्मा Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007771
Book TitleSamyag Darshan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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