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________________ www.vitragvani.com सम्यग्दर्शन : भाग-2] [113 'अब तुम पूछोगे कि सभी मानवों का मोक्ष क्यों नहीं होता? इसका उत्तर भी मैं कह दूँ। जो मानवता को समझते हैं, वे संसार सागर से पार हो जाते हैं। जिनमें विवेकबुद्धि का उदय हुआ हो, उनमें विद्वान् मानवता मानते हैं। उससे सत्यासत्य का निर्णय समझकर परम तत्त्व, उत्तम आचार और सद्धर्म का सेवन करके, वे अनुपम मोक्ष को पाते हैं।' ___मोक्ष का साधन इस मानवभव में ही होता है परन्तु सभी मानवों को मोक्ष नहीं हो जाता। मनुष्यपने में भी जो विवेकबुद्धि अर्थात् स्व-पर का यथार्थ ज्ञान प्रगट करके आत्मा को समझते हैं, उन्हें ही मोक्ष होता है। जो सत्य और असत्य का निर्णय करके, परमतत्त्व को अर्थात् आत्मा के शुद्धस्वभाव को समझते हैं तथा राग-द्वेषरहित आत्मा के निर्दोष स्वभाव में एकाग्रतारूप उत्तम आचरण का पालन करते हैं, वे ही मोक्ष प्राप्त करते हैं। 'मनुष्य के शरीर के देखाव से विद्वान् उसे मनुष्य नहीं कहते, परन्तु उसके विवेक के कारण उसे मनुष्य कहते हैं।' आत्मा का निर्दोष स्वभाव क्या है और विकार क्या है ? इसका विवेक करनेवाला ही वास्तव में मनुष्य है परन्तु हाथ-पैर इत्यादि की आकृति से वास्तव में ज्ञानी, मनुष्यपना नहीं कहते । जिसे स्व -पर का विवेक नहीं है - ऐसे मानवपन को ज्ञानी उत्तम नहीं कहते। जिसने स्व-पर का विवेक प्रगट किया है, वही वास्तव में मनुष्य है और उसे ही ज्ञानीजन उत्तम कहते हैं। मैं कौन हूँ और मेरा स्वरूप क्या है तथा मुझसे भिन्न पदार्थ क्या हैं? इसका जिसे विवेक नहीं है, उसे धर्म नहीं होता है। Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007769
Book TitleSamyag Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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