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________________ www.vitragvani.com सम्यग्दर्शन : भाग-2] [101 मोक्षार्थी को मुक्ति का उल्लास ___ आत्मार्थी के परिणाम उल्लसित होते हैं, क्योंकि आत्मस्वभाव को साधकर, अल्प काल में संसार से मुक्त होकर सिद्ध होता है; इससे अपनी मुक्ति का उसे निरन्तर उल्लास होता है और इस कारण वह उल्लसित वीर्यवान होता है। (१) श्री परमात्मप्रकाश ग्रन्थ में पशु का दृष्टान्त देकर कहते हैं कि यदि मोक्ष में उत्तम सुख नहीं होता, तो पशु भी बन्धन से छूटने की इच्छा क्यों करता? देखो, बन्धन में बंधे हुए बछड़े को पानी पिलाने के लिए बन्धन से मुक्त करते हैं तो वह छूटने के हर्ष में नाचने लगता है। तब अरे जीव! तू अनादि काल से अज्ञानभाव से इस संसार बन्धन में बँधा हुआ है और अब तुझे इस मनुष्यभव में सत्समागम से इस संसार बन्धन से मुक्त होने का अवसर आया है। श्री आचार्यदेव कहते हैं कि हम संसार से छूटकर मुक्ति प्राप्ति की बात सुनाएँगे... और यदि वह वार्ता सुनने पर तुझे संसार से छूटने का उत्साह न आवे तो तू उस बछड़े से भी गयाबीता है। बन्धन से छूटकर खुली हवा में घूमने और पानी पीने का अवसर प्राप्त होने पर बछड़े को भी कैसा उत्साह आता है? तब जिसे समझने से अनादि का संसार-बन्धन छूटकर मुक्ति के परम आनन्द की प्राप्ति हो - ऐसे चैतन्यस्वभाव की बात ज्ञानी के द्वारा सुनने पर, किस आत्मार्थी जीव को अन्दर में हौंस और उत्साह नहीं आएगा? और जिसे अन्दर में सच समझने का उत्साह है, उसे ___Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007769
Book TitleSamyag Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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