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________________ 90] www.vitragvani.com [ सम्यग्दर्शन : भाग - 2 जिससे अवतार की सफलता हो - ऐसा सच्चा इनाम धर्म से, अर्थात् आत्मा की सच्ची समझ से ही मनुष्य अवतार की सफलता है। धर्म का माहात्म्य समझने के लिये उसका ज्ञान करना चाहिए। इस जीव को संसार में पशु, कौवा इत्यादि की देह तो अनन्त बार मिलती है परन्तु मनुष्य देह मूल्यवान है । उस मनुष्य देह में भी यदि आत्मा की समझ न करे तो उसकी कोई कीमत नहीं है । विषयभोग में तो कौवा, कुत्ता भी जीवन व्यतीत करता है । मनुष्य होकर भी धर्म न समझे और कमाने में तथा भोग में ही जीवन गँवावे तो पशु की अपेक्षा भी उसकी क्या विशेषता हुई ? इस शरीर की तो राख होनेवाली है; आत्मा इससे पृथक् है ऐसे आत्मा को स्वयं भूलकर जीव, परिभ्रमण करता है और स्वयं को पहचाने तो मुक्ति प्राप्त करता है परन्तु कोई दूसरे की अकृपा से भटकता नहीं या दूसरे की कृपा से तिरता नहीं है । — जिस प्रकार सरोवर में रहनेवाला हंस, कमल के प्रति प्रीति छोड़कर हंसिनी पर प्रीति करता है; उसी प्रकार शरीररूपी सरोवर में रहनेवाला जो चैतन्य हंस, शरीर आदि की प्रीति छोड़कर अपने आत्मा की प्रीति करता है, वह इस जगत् में धन्य है ! सरोवर में कमल खिले हुए होने पर भी, हंस अपनी हंसिनी के प्रति प्रीति छोड़कर उन पर प्रीति नहीं करता; इसी प्रकार यह चैतन्यरूप हंस है और इसे पैसा, मकान इत्यादि बाहर की चीजें हैं, वे पूर्व के प्रारब्ध का फल है, उनकी प्रीति छोड़कर अपने आत्मा की प्रीति करे तो निर्मल आनन्दपरिणति प्रगट हो, वह आत्मा की हंसनी है । Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007769
Book TitleSamyag Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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