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________________ एकबार भी मिथ्यात्व का त्याग करे तो अवश्य मोक्ष हो जाए प्रश्न यह जीव, जैन का नामधारी त्यागी साधु अनन्त बार हुआ, फिर भी इसे अभी तक मोक्ष क्यों नहीं हुआ ? - www.vitragvani.com उत्तर जैन का नामधारी त्यागी साधु अनन्त बार हुआ, यह बात ठीक है, किन्तु अन्तरङ्ग में मिथ्यात्वरूप महापाप का त्याग एकबार भी नहीं किया; इसलिए उसका संसार बना हुआ है, क्योंकि संसार का कारण मिथ्यात्व ही है । — प्रश्न तो फिर त्यागी साधु हुआ उसका फल क्या ? उत्तर बाह्य में जो परद्रव्य का त्याग हुआ, उसका फल आत्मा को नहीं होता, परन्तु 'मैं इस परद्रव्य को छोइँ', यह माने तो ऐसी परद्रव्य की कर्तृत्वबुद्धि का महापाप आत्मा को होता है और उसका फल संसार ही है । यदि कदाचित् कोई जीव बाहर से त्यागी न दिखायी दे, परन्तु यदि उसने सच्ची समझ के द्वारा अन्तरङ्ग में परद्रव्य की कर्तृत्वबुद्धि का अनन्त पाप त्याग दिया हो तो वह धर्मी है और उसके उस त्याग का फल मोक्ष है। पहले के नामधारी साधु की अपेक्षा, दूसरा मिथ्यात्व का त्यागी अनन्त गुना उत्तम है । पहले को मिथ्यात्व का अत्याग होने से वह संसार में परिभ्रमण करेगा और दूसरे को मिथ्यात्व का त्याग होने से वह अल्प काल में अवश्य मोक्ष जायेगा । प्रश्न तब क्या हमें त्याग नहीं करना चाहिए? - — Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007768
Book TitleSamyag Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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