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चैत्यवंदन विधि सहित
(ऐसा बोलकर नीचे दि गई थोय या कोइ भी एक थोय कहे)
श्री पांच जिनवरनी स्तुति कल्याणकंदं पढम जिणिंद,
संतिं तओ नेमिजिणं मुणिंदं: पासं पयासं सुगुणिक्कठाणं, भत्तीइ वंदे सिरि वद्धमाणं| (१) कल्याण के मूल समान प्रथम जिनेश्वर (श्री ऋषभदेव), श्री शांतिनाथ, मुनियों में श्रेष्ठ श्री नेमिनाथ जिनेश्वर, प्रकाश स्वरूप और सद्गुणों के स्थानरूप श्री पार्श्वनाथ एवं श्री महावीर स्वामी को मैं भक्ति पूर्वक वंदन करता हूँ। (१)
(अब खमासमण दे)
देव-गुरुको पंचांग वंदन इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसीहियाए,
मत्थएण वंदामि (१) मैं इच्छता हूं हे क्षमाश्रमण ! वंदन करने के लिए, सब शक्ति लगाकर व दोष त्याग कर मस्तक नमाकर मैं वंदन करता हूं | (१)
।। चैत्यवंदनकी विधि संपूर्ण ।।