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२.
सुगुरु वंदन प्रसंगके ६ आवर्तो
गुरुचरणकमल
यथाजातमुद्रा
वांदणाके वक्त, दोनो हाथ एवं चरवला कहाँ एवं किस तरह रखना है उसे देखो ।
'अ' बोलते समय दोनो हाथ कहाँ पर रखना एवं 'हो' बोल बोलते वक्त हाथ कहाँ रखना, अन्य बोल बोलते समय दोनो हाथ शरीरके कौन से स्थानके पास रखना, यथाजात मुद्रा सूचिन शीर्षनमन आदि किस तरह करना यह सब यहाँ से आरंभ होते चित्रमें बताया गया है ।