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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
किया (गुरुको (बड़ोको) देकर बचा हुआ भोजन करना वह) है, तीर्यु (कुछ अधिक समय के लिए धीरज धारण कर के पच्चक्खाण का पालन करना वह) है, कीर्षु (भोजनके वक्त पच्चकखाण समाप्त होने पर स्मरण करना वह) है एवं आराधायूं (उपर्युक्त अनुसार आचरण किया हुआ पच्चक्खाण वह) है, उसमें जिसकी आराधना न की गई हो एसा मेरा पाप मिथ्या बन जाये और उसका नाश हो।
एकासणा, बियासणा, एकलठाणा का
___ पच्चक्खाण सूत्र अर्थ सहित उग्गए सूरे नमुक्कारसहिअं, पोरिसिं, साड्डपोरिसिं, पुरिमर्द, मुट्ठिसहि पच्चक्खाई (पच्चक्खामि) चउव्विहं पि आहारं असणं, पाणं, खाईमं, साईमं, अन्नत्थणा भोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं,
सव्व-समाहि-वत्तियागारेणं, विगईओ पच्चक्खाई (पच्चक्खामि) अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, लेवालेवेणं, गिहत्थ-संसट्टेणं, उक्खित्त-विवेगेणं, पडुच्च-मक्खिओणं, पारिठ्ठावणिया-गारेणं,
महत्तरागारेणं सव्व-समाहि-वत्तियागारेणं, एगासणं, (बियासणं) पच्चक्खाई (पच्चक्खामि),
तिविहं पि, आहारं असणं, खाईम, साइमं,