________________
श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
३२३
दिन-रात संबंधि रोजाना इस्तेमाल की जानेवाली चीजों आदि का भी नवकारशी एवं चउविहार पच्चक्खाण लेते वक्त परिमाण निकाल के 'देशावगासिक' का पच्चक्खाण करना चाहिए । देशावगासिक पच्चक्खाणमें १४ नियमों को सूर्यास्त के समय के समेटकर रात्रि संबंधित नियम ग्रहणकरने होते है। रात्रि के नियम सुबह में समेटकर नये लेने होते है । पर उसे सामायिक या पौषध में न तो समेटा या तय किया जाता है।
देवसिअ एवं राईअ प्रतिक्रमणके साथ दिन के दौरान आठ सामायिक करने से देसावगासिक व्रतका पालन अनुसरण होता है।
मानवभव में ही शक्य सर्व-संगत्याग स्वरुप सर्वविरति धर्मको (संयमको) प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ, शक्ति को छुपाये बिना, यथाशक्य व्रत-नियम-पच्चक्खाण करने चाहिए।
सुबहके पच्चक्खाण सूत्रो नवकारशी पच्चक्खाण सूत्र-अर्थ सहित उग्गए सूरे, नमुक्कार सहिअं, मुट्ठिसहिअं,
___पच्चखाई (पच्चक्खामि) चउव्विहं पि आहारं, असणं, पाणं, खाईमं, साईमं, अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं,
सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं,
वोसिरई (वोसिरामि). अर्थ - सूर्योदयसे दो घडी (४८ मिनिट) तक नमस्कार के साथ मुट्ठिसहित नामका पच्चक्खाण करते है। उसमें चारों प्रकार के