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________________ श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित सामायिक दरम्यान त्रिकरण सावद्य योगका सेवन हो गया हो, तो उसकी शुद्धि मुहपत्तिके पडिलहेणसे होती है। मुहपत्तिकी पडिलहेणसे होती है। मुहपत्तिकी पडिलेहणाकी विधिका उपयोग सामायिक करनेके समय और पारनेके समय बराबर हो वह अत्यंत इच्छनीय है । ३०८ Pup मुहपत्ति पडिलेहणके २५ बोल १ - सूत्र, अर्थ, तत्त्व करी सद्दहुं, २ - सम्यक्त्व मोहनीय, ३- मिश्र मोहनीय, ४- मिथ्यात्व मोहनीय परिहरं, ५- काम राग, ६- स्नेह राग, ७- दृष्टि राग परिहरूं, ८- सुदेव, ९- सुगुरु, १० - सुधर्म आदरं, ११ - कुदेव, १२ - कुगुरु, १३ - कुधर्म परिहरं, १४- ज्ञान, १५- दर्शन, १६ - चारित्र आदरं, १७- ज्ञान विराधना, १८- दर्शन विराधना, १९- चारित्र विराधना परिहरं, २०- मनगुप्ति, २१ - वचनगुप्ति, २२कायगुप्ति आदरं, २३- मनदंड, २४- वचनदंड, २५- कायदंड परिहरुं. शरीरके अंगोके पडिलेहणके २५ बोल (बायां हाथ पडिलेहतां ) १- हास्य, २- रति, ३- अरति परिहरं.
SR No.007740
Book TitleSamvatsari Pratikraman Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIla Mehta
PublisherIla Mehta
Publication Year2015
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size28 MB
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