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चित्र नं-५ (९) अक्खोडा एवं (९) पक्खोड़ा पडिलेहण विधि ___छह पक्खोडा के पश्चात मध्यभागका छौर दाये हाथसे इस तरह खिंचों कि जिससे बराबर दो परत की घडी बन जाये । और (उस दो परतवाली बनी हुई मुहपत्ति) नजरोंके सामने आ जाये । तत्पश्चात तुरंत उसके तीन हिस्से करके दाये हाथकी चार ऊँगलियों को तीन भागमें बाँधकर पकडो और इस तरह तीन हिस्सेमें पकडी हुई मुहपत्ति को बाये हाथ की उँगलीओसे, हथेलीका स्पर्श न हो उस तरह, कलाई तक ले जाओ और इस तरह तीन बार बीच बीच में आगे बोलते हुए अक्खोडे करनेके साथ-साथ तीन बार भीतर लेना उसे ९ अक्खोडा या ९ आखोटक या ९ आस्फोटक कहा जाता है ( उसमें ग्रहण करनेकी प्रक्रिया होनेसे झटकना नहीं चाहिए।)
(९) पक्खोडा (प्रमार्जना) : उपर बताये गए अनुसार पहली बार कलाईकी ओर से उँगली तरफ नीचे उतरते वक्त हथेलीको मुहपत्ति छए = स्पर्श करे उस तरह (महपत्ति के द्वारा) तीन बार घिसकर बायी हथेली पर करना एवं पहले ३ प्रमार्जना, उसके बाद (कलाई की ओर चढ़ते ३ अक्खोडा करते हुए) दूसरी बार उतरते ३ प्रमार्जना एवं उसी तरह (बीचमें ३ अक्खोडा कर के) पुनः तीसरी बार ३ प्रमार्जना करो, उसे ९ प्रमार्जना या ९ पक्खोडा या ९ प्रस्पोटक कहा जाता है।
( उपर बताये गये ६ प्रस्फोटक को इससे भिन्न मानो, क्योंकि उसे ६ ऊर्ध्व पप्फोडा या ६ पुरिम कहा जाता है।)
ये ९ अक्खोडा एवं ९ पक्खोडा तिग तिग अंतरिया अर्थात्