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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
जगत् में शान्ति करनेवाले, जगत्को धर्मका उपदेश देनेवाले; पूज्य शान्तिनाथ भगवान् मुझे शान्ति प्रदान करें । जिनके घर घरमें श्रीशान्तिनाथकी पूजा होती है उनके (यहाँ) सदा शान्ति ही होती है । (२) (१४)
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(गाथा)
उन्मृष्ट रिष्ट दुष्ट ग्रह गति दुःस्वप्न दुर्निमित्तादि संपादित हित संपन्नामग्रहणं जयति शांते : (३) (१५)
उपद्रव, ग्रहोंकी दुष्गति, दुःस्वप्न, दुष्ट अंगस्फुरण और दुष्ट निमित्तादिका नाश करनेवाला तथा आत्महित और सम्पत्तिको प्राप्त करानेवाला श्रीशान्तिनाथ भगवान्का नामोच्चारण से जयको प्राप्त होता है । (३) (१५)
शांतिके अलग अलग नामोसे उच्चार (५-शांति व्याहरणम् - गाथा )
श्री संध जगज्जनपद, राजाधिप, राज सन्निवेशानाम्, गोष्ठिक पुर मुख्याणां, व्याहरणै र्व्यायहरे च्छांतिम्, (४) (१६)
श्रीसंघ, जगत्, जनपद, महाराजा और राजाओंके निवासस्थान, विद्वानमंडलीक सभ्य तथा अग्रगण्य नागरिकोंके नाम लेकर शान्ति बोलनी चाहिये | (४) (१६)
शांतिक उद्घोषणा कब ? और किसे करनी ?
श्री श्रमण संघस्य शांतिर्भवतु, श्री जनपदानां शांतिर्भवतु, श्री राजाधिपानां शांतिभवतु, श्री राजसन्निवेशानां शांतिभवतु,