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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
(चरवलावाले खडे होकर काउस्सग्ग करे)
देव-गुरुको पंचांग वंदन इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसीहियाए, 5 मत्थएण वंदामि (१) मैं इच्छता हूं हे क्षमाश्रमण ! वंदन करने के लिए, सब शक्ति लगाकर व दोष त्याग कर मस्तक नमाकर मैं वंदन करता हूं | (१) - इच्छाकारेण संदिसह भगवन् !
दुखक्खय कम्मक्खय
निमित्तं काउस्सग्ग करे ? 'इच्छं' दुक्खक्खय कम्मक्खय निमित्तं करेमि काउस्सग्गं. हे भगवन् ! दुष्कर्म और कुकर्मके निमित्त काउस्सग करूं ? आज्ञा मान्य है। दुष्कर्म और कुकर्मके निमित्ते काउस्सग्ग करता हुँ।
काउस्सग्गके १६ आगार (छूटका) वर्णन र अन्नत्थ ऊससिएणं, नीससिएणं,
- खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डएणं, वायनिसग्गेणं, भमलीए, पित्तमुच्छाए (१)
सुहुमेहिं अंग संचालेहिं, सुहुमेहिं खेल संचालेहिं, सुहुमेहिं दिहि संचालेहिं, (२) एवमाइ एहिं आगारेहिं, अभग्गो अविराहिओ,
हुज्ज मे काउस्सग्गो (३)