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शरीरके पडिलेहणके २५ बोल
फिर मुहपत्तिके दोनो छोरो को पकडकर मस्तक की बीचोबीच एवं उसके दोनो ओर दाये-बाये पडिलेहणा करते करते क्रमानुसार
२-१-३
'कृष्ण लेश्या, नील लेश्या, कापोत लेश्या, परिह।,' बोलो। (स्त्रीयाँ यह बोल नहीं बोलती)
मस्तक
फिर मुख पर और दाये तथा बाये प्रमार्जना करते हुए
२-१-३
'रसगारव, रिद्धिगारव, सातागारव परिहरुं.' बोलो।
मुख
२-१-३
फिर हृदयके बीचमें और दांये-बांये पडिलेहणा करते हुए -
'मायाशल्य, नियाणशल्य, मिथ्यात्वशल्य परिहा.' बोलो। (स्त्रीयाँ यह बोल नहीं बोलती)
Mer छाती