________________
२०६
श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
अप्प किलंताणं ! बहु सुभेण भे ! दिवसो वइक्कंतो (३)
(४- संयमयात्रा पृच्छा स्थान) SHARE ज त्ता भे (४)
(५-त्रिकरण सामर्थ्यकी पृच्छा स्थान) ज व णि जं च भे (५)
(६-अपराध क्षमापना स्थान) खामेमि खमासमणो !
देवसि वइक्कम (६) पडिक्कमामि, खमासमणाणं, देवसिआए आसायणाए तित्तीसन्नयराए, जं किंचि मिच्छाए, मण दुक्कडाए, वय दुक्कडाए, काय दुक्कडाए, कोहाए, माणाए, मायाए, लोभाए,
सव्वकालिआए, सव्वमिच्छो वयाराए, सव्वधम्माइक्कमणाए आसायणाए
जो मे अइयारो कओ,
तस्स खमा-समणो ! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि,
अप्पाणं वोसिरामि (७) हे क्षमाश्रमण ! (अन्य व्यापारो का त्याग करके, शक्ति के अनुसार, मैं वंदन करना चाहता हूँ | मुझे अवग्रह में प्रवेश करने के लिये आज्ञा प्रदान करो। अशुभ व्यापार को त्याग करके, आपके चरणों को मेरी काया (मेरे हाथ) द्वारा स्पर्श करने से हुए खेद के लिए आप क्षमा करें।