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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
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आवस्सिआए (अवग्रहमें से बहार नीकलकर, फिरसे आनेका भाव दर्शानेके लिए शरीरको थोडा पीछे करे)
पडिक्कमामि, खमासमणाणं, देवसिआए
___आसायणाए तित्तीसन्नयराए, जं किंचि मिच्छाए, मण दुक्कडाए, वय दुक्कडाए, काय दुक्कडाए, कोहाए, माणाए, मायाए, लोभाए,
सव्वकालिआए, सव्वमिच्छो वयाराए,
सव्वधम्माइक्कमणाए आसायणाए जो मे अइयारो कओ, तस्स खमासमणो ! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि (७)
दुसरा वंदन (१-इच्छा निवेदन स्थान)
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए, निसीहिआए (१)
(२-अनुपज्ञापन स्थान) अणुजाणह मे मिउग्गह, (२)
निसीहि (गुरुके अवग्रहमें प्रवेश कर रहे हे ऐसा भाव दर्शानेके लिए शरीरको थोडा आगे करे)
अ हो का यं
काय संफास खमणिज्जो भे ! किलामो ?
(३-शरीरयात्रा पृच्छा स्थान)