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'सम्यक्त्व मोहनीय, मिश्र मोहनीय, मिथ्यात्व मोहनीय परिहा.'
ऐसा बोलकर मुहपत्ति के एक छौर को तीन बार झटको। (३-उर्ध्व पप्फोडा)
दृष्टिपडिलेहणा
'काम राग, स्नेह राग, दृष्टि राग परिहरं.'
ऐसा बोलते हुए मुहपत्तिके दूसरे छौर को तीन बार झटको (३-उर्ध्व पफोडा)
दृष्टिपडिलेहणा
अब अनुसार बाये हाथ की कलाई पर मुहपत्ति डालकर, बीचकी घडी पकडकर उसे दुगुनी करो।
दृष्टिपडिलेहणा
(यहाँसे मुहपत्तिको समेटना शुरु होता है।)