________________
श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
१२७
सामायिक संबंधी, तीन गुप्तियों संबंधी, चार कषाय संबंधी और पांच अणु व्रत में, तीन गुण व्रत में, चार शिक्षाव्रत में-बारह प्रकार के श्रावकधर्ममें खंडना हुई हो, जो विराधना हुई हो, मेरे द्वारा वर्षभर में जो अतिचार हुए हों, मेरे वे सर्व दुष्कृत्य मिथ्या हों ।
इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! संवच्छरी अतिचार आलोउं ?
'इच्छं' हे भगवंत ! वर्षभरके अतिचारकी आलोचना करना चाहता हुं। आज्ञा मान्य है।
( अब यहाँ संवच्छरी अतिचार कहना। ) संवत्सरी अतिचार (मोटा अतिचार)
सम्यक्त्व सहित बारह व्रतके १२४ अतिचारोंका विशेष वर्णन
नाणम्मि दंसणम्मि अ, चरणम्मि तवम्मि तह य वीरियम्मि - आयरणं आयारो,
इअ एसो पंचहा भणिओ | (१) ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार, और वीर्याचार इन पांचो आचारों में जो कोई अतिचार संवत्सरी दिवस में सूक्ष्म या बादर जानते, अजानते लगा हो वह सब मन, वचन, काया से मिच्छामि दुक्कडं | (१)