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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
(४- संयमयात्रा पृच्छा स्थान) ज त्ता भे
(४)
(५ - त्रिकरण सामर्थ्यकी पृच्छा स्थान )
जवणिज्जं च भे
(५)
(६ - अपराध क्षमापना स्थान )
खामेमि खमासमणो ! देवसिअं वइक्कर्म (६) आवस्सि आए
(अवग्रहमें से बहार नीकलकर, फिरसे आनेका भाव दर्शानेके लिए शरीरको थोडा पीछे करे) पडिक्कमामि, खमासमणाणं,
देवसिआए आसायणाए तित्तीसन्नयराए,
जं किंचि मिच्छाए, मण दुक्कडाए, वय दुक्कडाए, काय दुक्कडा, कोहाए, माणा, मायाए, लोभाए, सव्वकालिआए, सव्वमिच्छो वयाराए,
सव्वधम्माइक्कमणाए आसायणाए जो मे अइयारो कओ, तस्स खमासमणो ! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि
(७)
दुसरा वंदन (१ - इच्छा निवेदन स्थान)
इच्छामि खमासमणो !
वंदिउं जावणिज्जाए, निसीहिआए (9)
(२- अनुपज्ञापन स्थान)
अणुजाह मे मिउग्गहं, (२)