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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
विराजित मनोकामनाओंको पूर्ण करनेवाले, इच्छित रूपको धारण करनेवाले और आकाशमें विचरण करनेवाले सर्वानुभूति यक्ष मुझे सर्व कार्योंमें सिद्धि प्रदान करें । (४)
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( गाथा पूर्ण होते 'नमो अरिहंताणं' बोलके काउस्सग्ग पारना । )
( फिर योगमुद्रामें बैठके दोनों हाथोको जोडकर सूत्र बोलना ) श्री तीर्थंकर परमात्माकी उनके गुणो द्वारा स्तवना
नमुत्थुणं अरिहंताणं भगवंताणं (१)
आइगराणं, तित्थयराणं, सयंसंबुद्धाणं (२) पुरिसुत्तमाणं, पुरिस - सीहाणं,
पुरिस-वर- पुंडरीआणं, पुरिस-वरगंधहत्थीणं (३) लोगुत्तमाणं, लोग - नाहाणं, लोग-हिआणं, लोग-पईवाणं, लोग-पज्जोअगराणं (४) अभयदयाणं, चक्खुदयाणं, मग्गदयाणं, सरणदयाणं, बोहिदयाणं (५) धम्मदयाणं, धम्मदेसयाणं, धम्मनायगाणं, धम्मसारहीणं, धम्म वर चाउरंत चक्कवट्टीणं (६) अप्पडिहय वर नाण दंसण धराणं, वियट्ट-छउमाणं (७) जिणाणं जावयाणं, तिन्नाणं तारयाणं, बुद्धाणं बोहयाणं, मुत्ताणं मोअगाणं (c) सव्वन्नूणं, सव्व दरिसीणं सिव, मयल,